पेट या शरीर के अन्य भाग जैसे आंत, दिमाग आदि में पाए जाने वाले कीड़ों को परजीवी कीड़े कहते हैं| परजीवी का अर्थ है की ऐसे कीड़े मनुष्य के शरीर में रहकर पोषण प्राप्त करते हैं और अपना जीवन यापन करते हैं| मनुष्य के पेट में पाए जाने वाले कीड़े कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे गोल कृमि और फीता कृमि आदि| नीचे के भाग में हम जानेंगे पेट में कीड़े होने के लक्षण, पेट के कीड़े के प्रकार, पेट में कीड़े होने के कारण, बचाव के तरीके और पेट के कीड़ों का इलाज और मरने के तरीकों के बारे में|
पेट के कीड़े के प्रकार | Types of Intestinal Parasitic Worms
Tapeworm
टेप worms यानि फीता कृमि दूषित जल के सेवन से फैलते हैं| इसके अलावा कच्चे मांस को खाने से भी फैलते हैं| ये सफ़ेद कीड़े 50 फीट तक लम्बे हो सकते हैं और मनुष्य के शरीर में 30 सालों तक रह सकते हैं|
Flukes
flukes चपटे कृमि होते हैं जो की मनुष्य में कच्ची फल सब्जियों के सेवन से आते हैं| ये मनुष्य की आंत, खून और उत्तकों में रहते हैं|
Hookworms
ये कीड़े दूषित मिटटी या मल द्वारा फैलते हैं| यदि आप नंगे पैर उस मिटटी पर चलते हैं जिसमें इन कीड़ों के लार्वा या अंडे हैं तो आप आसानी से इन कीड़ों का शिकार बन सकते हैं|
Pinworms (Threadworms)
हिंदी में इन्हें चुनिया या चुदुने कहते हैं ये ज्यादातर बच्चों में पाए जाते हैं| ये कीड़े गुदा के आस पास अंडे देते हैं और ऐसा ये अक्सर रात में करते हैं जिनसे बच्चों को रात में गुदा में खुजली होती है|
Trichinosis worms
ये कीड़े मनुष्य में कच्चे या अच्छी तरह से न पके हुए meat द्वारा फैलते हैं|
पेट में कीड़े होने के लक्षण | symptoms of stomach or intestinal worms
- पेट में दर्द रहना
- दस्त, उलटी, जी मिचलाना
- गैस होना और मरोड़ आना
- शरीर के भार में कमी
- बहुत कमजोरी रहना
- खून की कमी होना
- मल में खून या मवाद का होना|
कई लोगो के पेट में सालों तक पेट के कीड़े रहते हैं और उन्हें इसका पता ही नहीं चलता|
इसके अलावा टेप वर्म कुछ दुसरे लक्षण भी दिखा सकता है ऐसे
- एलर्जी के लक्षण
- बैक्टीरियल इन्फेक्शन
- बुखार और दिमाग से सम्बंधित समस्याएं|
हुकवर्म के कारण रोगी को त्वचा पर रश और एनीमिया की शिकायत हो सकती है|
इसी प्रकार trichinosis worms खून द्वारा उत्तकों और मांस पेशियों में पहुंचकर निम्न लक्षण प्रदर्शित करते हैं:
- बुखार
- चेहरे में सूजन
- muscle में दर्द
- सरदर्द
- conjunctivitis
पेट में कीड़े होने के कारण | Causes of stomach worms
ऊपर के भाग में कीड़े होने के कारण तो बता ही दिए गए हैं उनके अलवा साफ़ सफाई की कमी, और ख़राब सैनिटेशन भी कीड़े के संक्रमण होने के पीछे जिम्मेदार होते हैं|
पेट में कीड़े होने की पहचान (निदान)
यदि आपको ऊपर बताये गए लक्षण में से कोई भी लक्षण महसूस हो तो आप अपने डॉक्टर से मिलिए| लक्षणों के आधार पर डॉक्टर आपको निम्न टेस्ट करवाने को बोल सकता है|
मल जांच जिसमें कीड़ों का पता लगाने के लिए आपके मल की जांच होती है|
डॉक्टर एंडोस्कोपी या colonoscopy cकरने की सलाह भी दे सकता है|
खून की जांच, MRI, CT scan, और X-rays करवाने की सलाह भी दे सकता है|
पेट में कीड़े का इलाज | अंत में कीड़ों को मारने की मेडिसिन (दवा)
कुछ प्रकार के आंत के कीड़े स्वत ही चले जाते हैं जैसे की tapeworms और ऐसा तब होता है जब रोगी का immune सिस्टम अच्छा हो और उसकी जीवनशैली भी ठीक हो| कीड़ों की उपस्थिथि के आधार पर डॉक्टर आपको कीड़ों के लिए दावा यानि मेडिसिन दे सकता है| आपको डॉक्टर से तब जरूर मिलना चाहिए जब आपके मल में खून आये, रोजाना उलटी हो रही हो, शरीर का तापमान अधिक हो, आपको बहुत अधिक कमजोरी या डिहाइड्रेशन की शिकायत हो|
डॉक्टर आपके पेट में मौजूद कीड़ों और आपके लक्षणों को देखकर इलाज देगा जिससे कीड़े मर जायें| टैपवार्म को ख़तम करने के लिए मौखिक दावा दी जाती है जिससे ये कीड़े अंत से हट जाते हैं और घुल जाते हैं अंततः मल के द्वारा बहार त्याग दिए जाते हैं|
गोलाकार क्रीमी को मरने के लिए डॉक्टर mebendazole (Vermox, Emverm) और albendazole (Albenza) प्रकार की दावा देता है|
पेट के कीड़ों के लक्षण कुछ दिनों या हफ़्तों में ठीक होने लगते हैं और इस हिसाब से डॉक्टर आपको सही इलाज देता है|
पेट में कीड़े होने से क्या समस्याएं आ सकती हैं
आंत में कीड़े होने से आंत की रुकावट या एनीमिया यानि ख़ून की कमी होना आम बात है| यदि आपका immune सिस्टम कमजोर है तो समस्याएं और भी अधिक हो सकती है|
प्रेगनेंसी में पेट में कीड़े होने से समस्या काफी बढ़ जाती है ऐसे में आपका डॉक्टर आपको सुरक्षित दावा देता है और आपका विशेष ध्यान रखा जाता है|
पेट में कीड़े से बचाव के तरीके और उपाय | stomach worms prevention tips
पेट में कीड़े के संक्रमण से बचने के लिए मलत्याग के बाद और भोजन से पहले अपने हाथों को किसी अच्छे एंटीबैक्टीरियल सोप से धोना न भूलें|
अपनी और अपने घर की साफ़ सफाई का विशेष ध्यान दीजिये|
कच्चा मांस या मछली खाने से परहेज करें|
meat को अच्छी तरह से पकाकर ही खाएं|
meat और मछली को खाने से पहले–4°F (–20°C) पर 24 घंटे के लिए फ्रीज करें|
फल और सब्जियों को अच्छे से धोकर चील कर इस्तेमाल करें
कोई भी खाद्य पदार्थ जमीन पर गिर जाए तो उसे बिना गर्म किया नहीं खाइए|
यदि आप दुसरे देश में हैं तो सफ़र में बाहरी पानी मत पीजिये और अपने पास पीने योग्य पानी का पर्याप्त भंडार रखें|